बेबिलोन के नागरिको मन जिवबिग्यानी जिदां है और लात मार हालाकि वास्तव में अधर्मि और उसके राजनितिक रूप से सही का राजकुमार द्वरा”मुख्यधारा की सोचं”पीटा गया है | अब सही मायने में मुक्त बिचार गायब हो रहे है,आसान करने के लिए उसको जगह दे रही “मुख्यधारा सोचं”का बिचार बना हुआ ठीक यह मनो बैग्यानिक और आध्यात्मिक हिसां लेकिन सारीरिक नहीं है क्योकि यह सब एक मूक, अदृष्य रास्ते में होता है | इसे और अधिक अलग से प्रशंसा पा चुके लगता है कि करने के लिए असुबिधा जनक हो जाता है बहुमत और “परिचालित कुछ अल्पसंख्यक शिकायत है “कि शिकारो ब्यवधान के स्रोतो और शान्ति भङ्ग के रूपमें जब (बाते अच्छी तरह से जाना )सहन करने वाले नाम पत्र “गुप्त सोंच”के(में भी बदतर मामलो में )और अस्पष्ट और इमान्दारीपन | आज की धार्मिक “मुख्यधारा सोंच”के माध्यम से अपने धुर्ब_तारा मुझे सिखाता है येयशु अल्पसख्यांक जानकारी है ,जो स्वीकार नहीं करता है,साधारण ब्यक्ति यीशु का हर साथी उनके पुरोहित उचांई की कक्छा के उन्मूलन समता के लिङो सभी भगवान के बच्चो के बराबर गरिमा और जिम्मेदारी भगवान के लोगो के बीच में गर्ब पदानु क्रमित पिरामिड के बिध्वंस के लिए समतल “भेड़”की स्थिति के लिए सभी प्राणियो को कम करने जोधपुर के इस मूक अदृष्य हिसां मेरे मन में है या मैं दिन के बाद प्रदश्रित करते है कि मैं नैतिक ताकत को हमलावर राजकुमार और उसकी जाति अनुयायियो के खिलाफ (एक प्रशांत लेकिन निर्धारित तरिके में ) बृद्धि और जानकारी यीशु “अल्पसख्यंक के एक सक्रिया पध्दोन्नति कारी बन गया है ?