एक दुनियाँमे चर्चे,मूल्यबर्ग, सप्रदायों ,और दर्शनके साथswarmed सवाल उठता है: क्यों इसाई शैली ? यह धर्म और आध्यात्मिकता ,सत्य की खोजमे उदासीके भ्रमको जोड़ने और जीवनके अर्थ की पहले से ही भीड़ भाड़ सड़को भीड़ आगे नहीं करता है ? दो हजार साल पहले,मसीह के समय में,कई लोग यीशु यीशु ने अपने आप को देखने के लिए उन्हे पूछ के प्रशंसको के लिए बने | (यूहना 24:21)यह एक सरल अनुरोध,लगभग बेमानी, बहुत कुछ शब्दों में ब्यक्त किया गया था | अभी तक इस अनुरोध आसानी से आदमी को गहरी इच्छा है, लेकिन सबसे अधिक उपेक्छा भी बताते |यह एक इच्छा है की मानव होने के नाते हमेशा उनकी आत्मा में रखा गया है | हाँ आज भी नागरिकों मैट्रिक्स को सख्त वास्तव में उन्हे दिखाने के प्रशिद्ध यीशु यीशु के प्रशंसकों पूछने के लिए जारी कोइ अन्य प्रश्न बेहतर प्रतिनिधित्व सक्ता है आजका मैट्रिक्स,महान दुख, पिड़ा और निराशा के दिनो इस अनुरोध यीशु के प्रशंसको के लिए एक महान अवसर का प्रतिनिधित्व करता है |

एक ही समय मे यह एक भारी खतरा छुपाता हैः यीशु मैट्रिक्स को नहीं दिखा है इसाई धर्म की मौत की घोषणा की तरह | समय पहले से कही अधिक सही यीशुः अपने सही प्यार चरित्र, मैट्रिक्स के लिए और पुरे ब्रामणड भर में दिखा रहा है | और यीशु के एक प्रशंसक के रुप में मै यीशु ने जो मेरे पिछले पर घर ले जाना चाहाता है की बापसी के लिए जिस तरह की तैयरी मैं मैट्रिक्स के नागरिक अपने उंगली के साथ आसमान छू जाने का अवसर है |