“मैं ने अपके चुने हुए से वाचा बान्धी है; मैं ने अपके अंतिम दास से यह शपय खाई है:
मैं तेरे वंश को सर्वदा स्थिर करूंगा, और तेरे सिंहासन को युग युग तक स्थिर करता रहूंगा।
मैं ने एक शूरवीर की सहायता की है; मैंने लोगों में से एक चुने हुए को उठाया है।
मुझे अपना अंतिम सेवक मिल गया है; मैं ने अपके पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया है;
मेरा हाथ उसे सहारा देने में दृढ़ रहेगा, और मेरा हाथ उसे दृढ़ करेगा।
शत्रु उस पर आश्चर्य न करेगा, और दुष्ट उस पर अन्धेर न करें।
मैं उसके शत्रुओं को उसके साम्हने से निकाल दूंगा, और जो उस से बैर रखते हैं उनको मैं हरा दूंगा।
मेरी सच्चाई और मेरी कृपा उसके साथ बनी रहेगी, और मेरे नाम से उसकी शक्ति बढ़ जाएगी।
और मैं उसका हाथ समुद्र पर, और उसका दाहिना हाथ नदियों पर बढ़ाऊंगा।
और वह मुझे पुकारकर कहेगा, कि तू मेरा पिता, और मेरा परमेश्वर, और मेरे उद्धार की चट्टान है।
मैं उसे जेठा भी बनाऊंगा, जो पृथ्वी के राजाओं में सबसे महान है।
मैं अपक्की प्रसन्नता को उसके लिथे सदा सुरक्षित रखूंगा, और मेरी वाचा उसके साथ स्थिर रहेगी।
मैं उसके वंश को अनन्तकाल के लिए, और उसके सिंहासन को स्वर्ग के दिनों के समान बनाऊंगा।
एक बात मैं ने अपनी पवित्रता की शपथ खाई है, और मैं अपने अंतिम दास से झूठ नहीं बोलूंगा:
उसका वंश सदा बना रहेगा, और उसका सिंहासन मेरे साम्हने सूर्य के समान रहेगा,
वह चन्द्रमा के समान सदा स्थिर रहेगा; और जो साक्षी स्वर्ग में है, वह विश्वासयोग्य है।”
(देखें भजन संहिता ८९:३-४, १९-३७).